Latest posts by Sapna Rani (see all)अल्मोड़ा: उत्तराखंड की जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को महंत की उपाधि दी गई और उसका नाम प्रकाशानंद गिरी रख दिया गया. अनुष्ठान के हिस्से के रूप में मंत्रोच्चार के बाद गैंगस्टर को ‘रुद्राक्ष’ की माला और ‘कंठी’ पहनाई गई. जब ये मामला सामने आया तो सरकार ने इसके जांच के आदेश दिए. गृह विभाग ने इसके लिए जेल प्रशासन के अतिरिक्त महानिरीक्षक यशवंत चौहान को जांच अधिकारी बनाया है, जो एक सप्ताह के भीतर सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हत्या-डकैती और फिरौती के कई मामलों में शामिल पीपी को 5 सितंबर को अल्मोड़ा जेल के अंदर दो साधुओं ने दीक्षा दी थी. पंच दशनाम जूना अखाड़े से होने का दावा करने वाले साधुओं ने समारोह के बाद पांडे को एक नया नाम प्रकाशानंद गिरी भी दिया. साधुओं के साथ जेल में एक अन्य व्यक्ति भी था जिसने पूरी प्रक्रिया में मध्यस्थ की भूमिका निभाई. इस बीच जूना अखाड़े ने भी मामले की जांच के लिए अपनी जांच कमेटी गठित कर दी है.उधर, साधु-संतों के सबसे बड़े अखाड़े जूना अखाड़े की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी इस मामले पर चर्चा हुई थी. उत्तर प्रदेश के नगीना में शनिवार को हुई बैठक में अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि द्वारा मामले की जांच के लिए निकाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति के गठन किया गया. बाद में हरिद्वार में महंत हरि गिरि ने कहा कि समिति किसी भी तरह के रुपयों के लेनदेन समेत मामले के हर पहलू की जांच करेगी.तीन महीने में रिपोर्ट सौंपेगी संतों की कमेटीउन्होंने कहा कि समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय कार्यकारिणी को सौंपेगी, जिस पर केंद्रीय कार्यकारिणी में चर्चा के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. वहीं मध्यस्थता कर रहे कृष्ण कांडपाल और संतों ने दीक्षा अनुष्ठान के बाद अल्मोडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जहां उन्होंने गैंगस्टर को उपाधि दिए जाने का कारण बताया था.‘पीपी भाई की देशभक्ति से प्रभावित हुआ था’कांडपाल ने मीडिया से बात करते हुए, “जब मैं पीपी भाई से मिला तो उनकी देशभक्ति की भावना से प्रभावित हुआ. वह दाऊद इब्राहिम को मारने के लिए एक बार पाकिस्तान में घुस गए थे. वह किसी और को मारने के लिए वियतनाम में भी घुस गए थे, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उनके खिलाफ रेड-कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की इच्छा व्यक्त की. मैंने संतों से बात की और वे उन्हें दीक्षा देने के लिए सहमत हो गए. ये छोटा दीक्षा कार्यक्रम था. 2025 में प्रयागराज कुंभ में एक बड़ा और अधिक विस्तृत दीक्षा कार्यक्रम किया जाएगा.”
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