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उत्तराखंड: जंगलों में धधकती आग बिगाड़ सकती है इको सिस्टम, ग्लेशियर पर मंडराया खतरा – myuttarakhandnews.com

Latest posts by Sapna Rani (see all)उत्तराखंड के जंगलों में आग तांडव मचा रही है. 3 लोगों की मौत हो चुकी है और हजाऱों पशु जलकर राख हो गए हैं. आग ने अब तक 1100 हेक्टेयर के जंगल को वीरान बना दिया है. राज्य में अभी तक 886 आग लगने के मामले सामने आए हैं. 61 लोगों पर आगजनी करने के मामले दर्ज किए गए हैं.लगातार धधकती आग से अब न सिर्फ जंगल, बल्कि पूरे इको सिस्टम पर खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने इसे लेकर भी चिंता जाहिर की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, आग की वजह से तापमान तो बढ़ ही रहा है, वहीं भारी मात्रा में लगातार ब्लैक कार्बन भी निकल रहा है. अगर यह ऐसा ही चलता रहा तो ग्लेशियर भी पिघल सकते हैं.टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस आग से पूरे इको सिस्टम पर खतरा मंडरा रहा है. आग की वजह से बढ़ रही हीट और उससे निकलने वाले ब्लैक कार्बन से वायु प्रदूषण हो रहा है और इससे हवा में ब्लैक कार्बन की मात्रा बढ़ रही है. फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने उत्तराखंड के जंगलों में भभक रही आग की गंभीरता को समझते हुए कई अलर्ट्स जारी किए हैं.ब्लैक कार्बन से बढ़ रहा खतरावाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व साइंटिस्ट पीएस नेगी ने ब्लैक कार्बन की वजह से ग्लेशियर के पिघलने को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि गर्मियों में जंगलों की आग की वजह से ब्लैक कार्बन की मात्रा बढ़ने से हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियर पिघलने का खतरा बढ़ गया है और पूरे इको सिस्टम पर खतरा मंडरा रहा है.वहीं वर्ल्ड बैंक की एक रिसर्च में यह सामने आया है कि ग्लेशियर के पिघलने में ब्लैक कार्बन का क्या रोल है. रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी क्षेत्र में अगर ब्लैक कार्बन ज्यादा मात्रा में निकलता है तो इससे ग्लेशियर के पिघलने की दर ज्यादा बढ़ जाती है. इसकी वजह है कि ग्लेशियर के आस-पास ब्लैक कार्बन जमा हो जाए तो सूर्य के प्रकाश का परावर्तन कम हो जाता है जिसकी वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगते हैं. इससे हवा का तापमान भी बढ़ जाता है, यह भी ग्लेशियर के पिघलने की बड़ी वजह है.नेचुरल डिजास्टर की भी संभावनाजीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन इन्वायरमेंट के रिसर्चर्स जिनमें जेसी कुनियाल भी शामिल हैं, ने हिमालय क्षेत्र में इकट्ठा होने वाले ब्लैक कार्बन के कई सोर्सेज की जानकारी जुटाई है. जेसी कुनियाल ने बताया है कि जंगलों की आग, ट्रांसबाउंड्री पोल्यूशन और वाहनों की वजह से भी ब्लैक कार्बन की मात्रा वायुमंडल में बढ़ती है. वहीं वर्ल्ड मेटिओरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन ने भी चेतावनी जारी की है कि ग्लेशियर के तेजी से कम होने की वजह से क्षेत्र में नेचुरल डिजास्टर की संभावना बढ़ रही है. जिसमें हिमालयन झीलों से बाढ़ का खतरा भी बढ़ रहा है.