― Advertisement ―

Homehindiहिमालय दिवस पर जलवायु परिवर्तन व आपदा की तैयारी पर हुआ मंथन

हिमालय दिवस पर जलवायु परिवर्तन व आपदा की तैयारी पर हुआ मंथन




हिमालय दिवस पर जलवायु परिवर्तन व आपदा की तैयारी पर हुआ मंथन

देहरादून। हिमालय दिवस पर वाडिया संस्थान के सभागार में “जलवायु परिवर्तन एवं आपदाओं के लिए तत्परता“ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए पर्यावरणविद डॉ रीमा पंत ने कहा कि आज का यह दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें जलवायु परिवर्तन एवं आपदाओं के कारणों एवं तैयारी के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ कलाचन्द सेन ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया।
उन्होने हिमालय दिवस की सार्थकता एवं महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने हिमालयी संसाधनों का बुद्विमत्तापूर्ण प्रयोग एवं उपयोग पर बल दिया, जिससे अगली पीढियों पर प्रतिकूल प्रभाव न पडे। पद्मभूषण (डॉ) अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हिमालय नवीन पर्वत श्रृंखला है, जो अभी भी बनने की प्रक्रिया में हैं। उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं का आह्वान किया कि अपने आपको सशक्त रखने के लिए हिमालय को भी सहेजना होगा।

कार्यक्रम में ‘जलवायु परिवर्तन एवं हिमालय – चुनौतियाँ एवं अवसर ‘और आपदा प्रस्यास्थता का विकास और पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र’ पर चर्चा की गई। चर्चा में विभिन्न संस्थानों से आये विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए । साथ ही प्रतिभागियों ने भी विभिन्न प्रश्नों एवं सुझावों के माध्यम से कार्यक्रम में शिरकत की।
यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि हिमालय वर्षों से आम जनमानस को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देता आ रहा है। हमारे पूर्वज भी जीवन यापन के लिए हिमालय पर निर्भर रहते थे और आज हम सब लोग भी हिमालय से मिलने वाले प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। उन्होने यूकास्ट एवं हेस्को की ओर से वाडिया संस्थान को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रहलाद सिंह अधिकारी, समन्वयक, यूकास्ट ने किया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सलाहकार डॉ देवप्रिय दत्ता, यू.एन.डी.पी के अध्यक्ष प्रदीप मेहता, आई.आई.आर.एस, हेस्को, यूकास्ट, वाडिया संस्थान, यू.पी.ई.एस, तुला संस्थान, गुरूकुल कांगडी विश्विद्यालय, सहित अनेकों संस्थानों के 250 से अधिक वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित समाज के विभिन्न वर्गो से प्रतिष्ठित लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया।