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उत्तराखंड परिवहन निगम पर संकट, कर्मचारियों की समस्याओं और बसों की कमी से बिगड़ते हालात – my uttarakhand news

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22/10/2024 की मध्य रात्रि से 48 घण्टे का कार्यबहिष्कार
23/10/2024 व 24/10/2024 को आई.एस.बी.टी. देहरादून हल्द्वानी बस स्टेशन व टनकपुर कार्यशाला में धरना
द्वितीय चरणः- दिनांक 05/11/2024 से अनिश्चितकालीन सम्पूर्ण कार्यबहिष्कार
देहरादून, उत्तराखंड परिवहन निगम (यूटीसी) पर मंडरा रहे गंभीर संकट और सरकार की लापरवाही पर आज एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई। निगम, जो 2003 में उत्तराखंड की जनता को सुगम और सुरक्षित यात्रा सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था, अब अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है।
वर्तमान में निगम के कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। 2024 तक निगम में मात्र 2000 नियमित और 3000 संविदा कर्मचारी बचे हैं, जबकि पहले इसमें 7100 कर्मचारी कार्यरत थे। इसके अलावा, निगम की 950 बसों में से केवल 300 ही संचालन योग्य बची हैं, और शेष 500 बसें जल्द ही नीलामी के कगार पर हैं।
प्रेस वार्ता में बताया गया कि सरकार द्वारा 14 मार्गों को निजी ऑपरेटरों के लिए खोलने से यूटीसी की आय में गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, सरकार के द्वारा यूटीसी की बसों पर संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं की कमी से भी जनता प्रभावित हो रही है।
निगम के बेड़े में घटती बसों और कर्मचारियों की समस्याओं के कारण उत्तराखंड के यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की सुविधा दोनों खतरे में हैं। विगत वर्षों में प्राइवेट ऑपरेटरों द्वारा संचालित बसों में हुए बड़े हादसों में कई निर्दोष यात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में 2016 से 2024 के बीच एक भी यात्री की मौत नहीं हुई।
निगम के प्रबंधन में रिटायर्ड कर्मचारियों को भुगतान न मिलना, बसों की मरम्मत के लिए आवश्यक स्पेयर पार्ट्स की कमी, और सातवें वेतन आयोग के बकाए का भुगतान न होने जैसी समस्याओं का भी उल्लेख किया गया। वहीं, निगम के मुख्यालय पर अनावश्यक खर्च किए जा रहे हैं, जिससे वित्तीय घाटे की स्थिति और गंभीर होती जा रही है।
इस सबके बीच, उत्तराखंड परिवहन निगम संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन का निर्णय लिया है, जिसमें अशोक चौधरी महामंत्री, रविनंदन, रामकिशन राम, केपी सिंह, बलेश कुमार आदि मौजूद रहे।‌