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ट्रैफिक व्यवस्था में बेहतरी के लिए उपनल के जरिये कर्मियों की संख्या बढ़ाएंगे- डीजीपी




ट्रैफिक व्यवस्था में बेहतरी के लिए उपनल के जरिये कर्मियों की संख्या बढ़ाएंगे- डीजीपी

आवासीय व व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के बाहर वाहन खड़े नहीं होंगे
थानों में खड़े वाहनों के लिए जमीन तलाशेगा पुलिस विभाग
यातायात एवं सड़क सुरक्षा पर पुलिस मुख्यालय में आयोजित संगोष्ठी दोपहिया वाहन खरीदने पर दिया बल
देहरादून।  पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने कहा कि शहरों में पीक ऑवर्स में पुलिस की मौजूदगी रहे। आवासीय व व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के बाहर वाहन पार्किंग न होने दी जाये। इसके अतिरिक्त चारों बड़े जनपदों में कुछ एकड़ भूमि चयनित की जाये जहां पर थानों में खड़े लावारिस व मुकदमे से सम्बन्धित वाहन एक साथ खड़े किये जा सके । ताकि थानों में जगह खाली हो एवं उनकी सुन्दरता भी प्रभावित न हो। मंगलवार को राज्य में यातायात एवं सड़क सुरक्षा पर आयोजित संगोष्ठी में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यातायात एवं सड़क सुरक्षा राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है। इसमें मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए उपनल के माध्यम से जनशक्ति बढ़ाएंगे। और शासन से होमगार्ड एवं पीआरडी के जवानों की मॉग की जाये।
संगोष्ठी में अमित सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन, वी मुरूगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस दूरसंचार, एपी अंशुमान, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, मुख्तार मोहसिन, निदेशक यातायात एवं सर्वेश पंवार, पुलिस अधीक्षक यातायात भी मौजूद रहे। निदेशक, यातायात ने इस सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण दिया गया तथा राज्य में यातायात पुलिस की जनशक्ति, साजो सामान एवं उपकरणों की वर्तमान स्थिति प्रस्तुत करते हुए यातायात व सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित समस्याओं एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। एपी अंशुमान, अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था के द्वारा बताया गया कि सिटी पेट्रोल यूनिट में नियुक्त कर्मियों को भी यातायात पुलिस के अन्तर्गत ही माना जायेगा।
उन्होंने बताया कि राज्य में पंजीकृत वाहनों की कुल संख्या लगभग 33 लाख है। जिसके अनुपात में जनशक्ति काफी कम है। पुलिस महानिदेशक द्वारा इसका ऑडिट भी कराये जाने के निर्देश दिये गये। निदेशक यातायात द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में राज्य में कुल 28 इण्टरसेप्टर वाहन मौजूद हैं। भविष्य में ट्रैफिक ड्यूटी हेतु सभी दोपहिया वाहन हैवी ड्यूटी के खरीदे जायें जिनकी क्षमता 400-500 सीसी की हो। जिस जनपद में सड़क दुर्घटनाएं अधिक है वहॉ पर संसाधन एवं जनशक्ति को बढ़ाया जाये । ब्लैक स्पॉट को भी चिन्हित किया जाये साथ ही इनका डाटा तैयार कर विश्लेषण किया जाये। ताकि ऐसे स्थानों की पहचान हो सके एवं दुर्घटनाओं को रोका जा सके।