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उत्तराखंड पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला, यहां जाने विस्तार से – Uttarakhand

Election Commission's big decision regarding Uttarakhand Panchayat elections, know in detail hereElection Commission's big decision regarding Uttarakhand Panchayat elections, know in detail hereElection Commission’s big decision regarding Uttarakhand Panchayat elections, know in detail hereइस खबर को शेयर करेंLatest posts by Sapna Rani (see all)Uttarakhand Panchayat Elections: उत्तराखंड में अगले साल प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए अधिकतम खर्च की सीमा बढ़ा दी गई है. ग्राम पंचायत सदस्य और उप प्रधान के अलावा अन्य सभी पदों पर खर्च सीमा में 25,000 से 60,000 रुपये तक की वृद्धि की गई है. हालांकि, नामांकन पत्रों का मूल्य और जमानत राशि यथावत रखी गई है. राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किए. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को इन संशोधित दरों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं. यह फैसला पंचायत चुनाव की तैयारियों का हिस्सा है, जो अगले साल प्रस्तावित हैं.अधिकतम खर्च सीमा में बढ़ोतरीत्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ग्राम पंचायत सदस्य और उप प्रधान को छोड़कर बाकी सभी पदों पर अधिकतम खर्च सीमा में बढ़ोतरी की गई है. पहले के मुकाबले यह सीमा इस प्रकार संशोधित की गई है:इस संशोधन के जरिए उम्मीदवारों को अधिक वित्तीय लचीलापन प्रदान किया गया है ताकि वे चुनावी प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से संचालित कर सकें.निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि नामांकन पत्रों का मूल्य और जमानत राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है. पहले की तरह ही उम्मीदवार इनकी व्यवस्था करेंगे. यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बनी रहे, आयोग ने इस क्षेत्र में कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं डाला है.निर्वाचन आयोग का सख्त दिशा-निर्देशपंचायत चुनावों में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. आयोग के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी यदि वह किसी अपराध में दोषी ठहराया गया हो. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत अपराध सिद्ध होने पर भी संबंधित व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य होगा.यह फैसला पंचायतों में स्वच्छ और पारदर्शी राजनीति को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लिया गया है. आयोग का मानना है कि यह कदम ग्रामीण शासन में सुधार और पंचायत प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद करेगा.वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और चुनाव न होने की स्थिति में पंचायतों का संचालन प्रशासकों द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, आयोग ने साफ किया है कि पंचायत चुनाव अगले साल आयोजित किए जाएंगे. इसके लिए आयोग अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है और मतदाता सूची, मतदान केंद्रों की व्यवस्था, और अन्य आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं.नागरिकों की भागीदारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्णउत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. पंचायत चुनावों के जरिए चुने गए प्रतिनिधि न केवल स्थानीय मुद्दों का समाधान करते हैं बल्कि विकास परियोजनाओं की दिशा भी तय करते हैं.खर्च सीमा बढ़ाने और अपराधियों को अयोग्य ठहराने जैसे फैसलों से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हो. निर्वाचन आयोग का यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र को मजबूत करने और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है.राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए पहले से ही आवश्यक कदम उठा रहा है. जिलाधिकारियों को भेजे गए आदेश में यह भी कहा गया है कि नामांकन प्रक्रिया, मतदान केंद्रों की निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए.उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए खर्च सीमा में वृद्धि और अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक के फैसले से एक ओर जहां उम्मीदवारों को राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल हुई है. आगामी चुनाव ग्रामीण विकास और लोकतांत्रिक सशक्तिकरण के लिए अहम साबित होंगे.