उत्तराखंड : शायद ही विगत कई वर्षों से उत्तराखंड वासियों ने ये मंजर देखा होगा जहाँ अप्रैल महीने में ही चारों तरफ जंगलों में अग्नि का तांडव देखने को मिल रहा है । अभी तक उत्तराखंड में अब आग लगने की 930 घटनाओं का सरकारी रिकॉर्ड है , जिससे 1,196 हेक्टेयर से अधिक जंगल स्वाहा हो चुके है । 491 घटनाएं कुमाऊं और 365 घटनाएं गढ़वाल में हुईं ।जबकि अन्य 74 मामले वन्य जीव क्षेत्र के हैं।इस साल जहां बर्फ भी अपेक्षा से कम गिरी वहीं इस वजह से पानी के स्रोत भी सुख रहे है । ऐशे में आग के साथ साथ पेयजल की कमी से जूझते ग्रामीण अपने जंगलों को बचा रहे है जिसमे अब तक पांच लोगों की मौत और चार लोग झुलस चुके हैं। जो कि एक गंभीर विषय है ।
जंगल में जान बूझकर आग लगाने के मामले में पुलिस ने 13 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें चार लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि छह अज्ञात हैं। वन विभाग ने 351 मुकदमे दर्ज किए हैं, जिसमें 290 अज्ञात, जबकि 61 नामजद मुकदमे हैं। पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार के मुताबिक, वन, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीम ऐसे लोगों की पहचान कर रही है।मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए अहम निर्देश देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव को दूरभाष पर निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर मॉनिटरिंग करने के निर्देश तत्काल जारी किए जाएं।
चुनाव प्रचार में देश भर में व्यस्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भी दिल्ली के उत्तराखंड सदन से ऑनलाइन मीटिंग कर सभी जिमेदारिया अधिकारियों की बैठक ली और चारों तरफ जल रहे जंगलों को बचाने के हर संभव प्रयास के निर्देश दिये ।प्रदेश में (Stubble Burning) को जलाने पर तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए है
उत्तराखंड हलचल सभी से निवेदन भी करता है कि अपने आसपास आग लगाने से बचे , कूड़ा पिरूल निस्तारण के अन्य विकल्प तलाशे बहुमुल्य जंगलों और जीव जंतुओं को आग में ना झोंके ।
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