ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी बोले नकली दवाइयों की आपूर्ति पर लगेगी रोक
देहरादून। उत्तराखंड में नकली दवाइयों की आपूर्ति रोकने के लिए अब 300 ब्रांड की दवाइयां क्यूआर कोड से बिकेंगी। उत्तराखंड सरकार ने नकली दवाओं से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए 300 प्रमुख बीमारियों की दवाओं के लिए बार कोड अनिवार्य कर दिया है। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया की राज्य में अब दवा कंपनियों को 300 दवाओं के रैपर पर बार कोड लगाना जरूरी होगा। फार्मा विनिर्माण उद्योगों को दवाइयों की पैकिंग पर अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड लगाना होगा। प्रदेश में दवाइयों के रिटेलर और होलसेलर विक्रेता क्यूआर कोड वाली दवाइयों की बिक्री करेंगे। इस संबंध में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा क्यूआर कोड से दवाइयों के नकली या असली होने का पता लग सकेगा। नकली दवाइयों को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर प्रचलित 300 दवाइयों के ब्रांड लेबर पर क्यूआर कोड अनिवार्य किया है। जिससे क्यूआर कोड को स्कैन कर दवाइयों के ब्रांड की सत्यता जांची जाएगी।
राज्य में लगभग 300 फार्मा कंपनियां स्थापितराज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया, केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के आधार पर प्रदेश के सभी फार्मा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को दवाइयों के ब्रांड पर क्यूआर कोड लगाने के लिए निर्देश दिए गए थे। वर्तमान में राज्य में लगभग 300 फार्मा कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों ने दवाइयों की पैकिंग पर क्यूआर कोड प्रिंट करना शुरू कर दिया है। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा राज्य औषधि विभाग ने सभी दवा विक्रेताओं को आदेश जारी किए कि क्यूआर कोड प्रिंट दवाइयों की बिक्री की जाए।
मेडिकल स्टोर संचालकों पर होगी कड़ी कार्रवाईड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि उत्तराखंड के सभी होलसेल और रिटेल मेडिकल स्टोर संचालक इन 300 दवाओं को बिना बार कोड के नहीं रख सकेंगे। जिनके पास यह दवाएं बिना बार कोड के हैं उन्हें वह दुकानों से हटानी होंगी। उन्होंने कहा कि सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि दवा दुकानों का निरीक्षण कर बिना बार कोड वाली दवाओं को सील कर दिया जाए। बिना बार कोड के दवाई बेचने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेशभर में चलेगा विशेष अभियानड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि सभी ड्रग इंस्पेक्टरों को जिलों में इसके लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में 18 हजार के करीब होलसेल और रिटेल दवा कारोबारी हैं। इन सभी के लिए यह अनिवार्य किया गया है। इसमें एसीलॉक टेबलेट, ऑगमेंटिन डुओ, बिटाडिन, बिकासूल कैप्सूल, बेटनोवेट क्रीम, कॉलपोल टेबलेट, कांबिफ्लेम, मोंटेयर एलसी टेबलेट, रोसुवेस, टेलमा एएम, टेलमा एच समेत 300 ब्रांड की दवाइयों पर क्यूआर कोड लगना अनिवार्य है। ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा विभाग ने दवा विक्रेताओं को आदेश दिए कि क्यूआर कोड स्कैन करने दवाइयों की सत्यता जांच कर ही बिक्री की जाए। यदि नकली दवा की आपूर्ति की जा रही है तो तत्काल विभाग को सूचित करें।
आम लोगों से नकली दवाओं की सूचना देने की अपीलऔषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि दवा कारोबारियों के लिए बार कोड अनिवार्य करने के साथ ही आम लोगों से अपील की गई है की यदि कोई कारोबारी बिना बार कोड के दवा बेचते मिला तो उसकी जानकारी औषधि विभाग को दी जाए। सभी ड्रग इंस्पेक्टर को इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी करने को कहा गया है।
बार कोड स्कैन कर करें पहचानऔषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि अब दवा स्टोर से दवाई खरीदते समय कोई भी व्यक्ति रैपर पर बने कोड को स्कैन कर सकता है। स्कैन करने के बाद इससे दवा बनाने वाली कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता तो दवाई नकली हो सकती है। ऐसे में ग्राहक स्टोर संचालक से दवाई की हकीकत के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है।