Is the Ganga water in Haridwar suitable for bathing or not? Pollution Control Board made this claimइस खबर को शेयर करेंLatest posts by Sapna Rani (see all)Ganga Water Pollution: उत्तराखंड में गंगा नदी का पानी नहाने या आचमन के योग्य है या नहीं इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बड़ा दावा किया गया है. बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने गंगा का पानी बी श्रेणी का होने की बात कही है, जो नहाने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि इस बात का परीक्षण करने के लिए पानी की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है. जिसके बाद गंगा के पानी को बी कैटेगरी में रखा गया है.उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि हरिद्वार में गंगा जल की गुणवत्ता मापने के लिए बोर्ड ने 8 स्टेशन तय किए हैं. उसी माप के अनुसार हम पानी की गुणवत्ता का विश्लेषण करते हैं. इनमें सबसे पहले हम बिंदु घाट, फिर हर की पैड़ी, ऋषिकुल में फिर बाला कुमारी मंदिर होते हुए आखिर में जो हमारा बॉर्डर है वहां तक कुल मिलाकर आठ प्वाइंट हैं. जहां पर जल की गुणवत्ता की जांच की जाती है.इन पैरामीटर के आधार पर तय होती है श्रेणीउन्होंने कहा कि इस जांच में गंगा के पानी का गुणवत्ता के लिए केंद्रीय प्रदूषण दल बोर्ड ने नदियों के पानी को पांच वर्गों A,B,C,D और E में बांटा है. गंगा जल की गुणवत्ता ‘बी’ श्रेणी में पाई गई है. पैरामीटर के आधार पर, बी का मतलब होता है कि वो नहाने के लिए उपयुक्त है. पानी किस कैटेगरी में रखा जाएगा इसका निर्धारण चार पैरामीटर के आधार पर किया गया है. जिसमें पीएच लेवल, डिसाल्व ऑक्सीजन, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड और टोटल कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया आते हैं.इन चारों पैरामीटर के आधार पर गंगा के पानी को क्लास बी में रखा गया है. इसका मतलब है पानी नहाने के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि बड़ी बात ये हैं कि पिछले पांच-छह सालों से लगातार गंगा का पानी बी श्रेणी में बना हुआ है. हालांकि बी श्रेणी का पानी पीने के लिए असुरक्षित हैं, ऐसे में इस पानी को पीया नहीं जा सकता है.
हरिद्वार में गंगा का पानी नहाने के योग्य है या नहीं? प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने किया ये दावा – Uttarakhand
