उत्तराखंडमनोरंजन
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देहरादून , विरासत में सांस्कृतिक संध्या की महफिल बहुत ही खास एवं शानदार रही, जिसका श्रेय प्रसिद्ध गजल गायिका प्रतिभा सिंह बघेल को गया है I उन्होंने अपने मधुर कंठ से बेहतरीन ताजा-तरीन गजलों की लहर उत्पन्न करके पूरा वातावरण संगीतमय के साथ बहुत ही मधुर बना दिया I विरासत में आज प्रतिभा बघेल की गजलों का जादू छाया रहा I प्रतिभा ने विरासत में भावपूर्ण ग़ज़ल प्रस्तुत करके विरासत में आए सभी मेहमानों का दिल जीत लियाI प्रतिभाशाली संगीतकारों ने उनका साथ दिया। श्रृंखला में इसराज को अरशद खान ने, हारमोनियम अखलाख हुसैन वारसी ने और तबला प्रशांत सोनागरा ने बजाया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत कुछ क्लासिक ग़ज़लों से की, उसके बाद ठुमरी और कुछ पुरानी फ़िल्मों पर आधारित शास्त्रीय रचनाएँ प्रस्तुत कीं, अपनी भावपूर्ण आवाज़ और कालजयी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया।
प्रतिभा सिंह बघेल एक भारतीय बहुत ही लोकप्रिय गायिका हैं, जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, ग़ज़लों के साथ-साथ बॉलीवुड फ़िल्मों के गाने भी गाती हैं।उनका जन्म रीवा में हुआ। उन्होंने संगीत प्रभाकर और संगीत परवीन की डिग्री हासिल की। अपने चाचा से प्रभावित होकर उन्होंने ठुमरी गाने की ट्रेनिंग भी ली। इसके अलावा उन्होंने संगीत रियलिटी शो सा… रे… गा… मा… पा… चैलेंज 2009 में अपनी शुरुआत की। वह शीर्ष फाइनलिस्ट में से एक थीं, फिर भी उनके प्रदर्शन को आलोचकों की प्रशंसा मिली, और उन्हें मुंबई में स्टेज शो और अंततः बॉलीवुड फ़िल्मों में पार्श्व गायन के अवसर मिले। उन्होंने इस्साक, बॉलीवुड डायरीज़, शोरगुल, हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, ज़िद, बाज़ार, मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी, दोनों और बाबा रामसा पीर जैसी फ़ीचर फ़िल्मों में अपनी आवाज़ दी। शास्त्रीय गायक राशिद खान के साथ उनका गाना “झीनी रे झीनी” उनके सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक माना जाता है। 2020 में, बघेल ने वायलिन वादक दीपक पंडित के साथ मिलकर बोले नैना नामक एक ग़ज़ल एल्बम जारी किया, जिसमें गीतकार गुलज़ार और तबला वादक ज़ाकिर हुसैन भी थे। उन्होंने संगीतकार अभिषेक रे के साथ मिलकर कई एकल गीत जारी किए I धागे में एक सूफ़ी रॉक, कान्हा की प्रीत में भारतीय लोकगीत, इल्ज़ाम में एक प्रेम गीत और एक ग़ज़ल फ़्यूज़न गीत कैसे-अलविदा के संगीत में भी नाम रोशन किया। उन्होंने कोलकाता में अंजाम-ए-मोहब्बत नामक एक वीडियो गीत शूट किया, जिसे अनंजन चक्रवर्ती ने संगीतबद्ध किया। यही नहीं, मशहूर गायिका ने बज्म-ए-ख़ास लेबल के तहत क्या कीजे नामक एक स्वतंत्र ग़ज़ल एकल भी जारी किया, जिसे घनशाम वासवानी ने संगीतबद्ध किया। उसी वर्ष वह संजय लीला भंसाली के एल्बम सुकून में भी नज़र आईं।
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