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ऋषिकेशः अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पिछले दो दिनों से सर्वर ठप होने की समस्या से अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है। इस तकनीकी खराबी के कारण सैकड़ों मरीज और उनके परिजन बेहद परेशान हैं।
मरीजों को डिस्चार्ज करने में हो रही देरी और अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं में बाधा के कारण मरीजों की हालत बिगड़ रही है। अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजनों ने बताया कि इस समस्या के कारण उनकी परेशानियां कई गुना बढ़ गई हैं।
पीआरओ की चुप्पीः इस पूरे मामले पर एम्स के पीआरओ नौटियाल मीडिया के सवालों से बचते नजर आए। उन्होंने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
प्रशासन की उदासीनताः अस्पताल में मरीजों की हालत बिगड़ने के बावजूद अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। मरीजों की बढ़ती परेशानी के बीच प्रशासन की उदासीनता सवालों के घेरे में है।मरीजों की अपीलः मरीजों ने प्रशासन से जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की तकनीकी खराबी से अस्पताल में मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
विशेषज्ञों की रायः चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पतालों में इस तरह की तकनीकी खराबी से बचना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों को अपनी तकनीकी सुविधाओं को समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए ताकि मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
समाधान की मांगः इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से जल्द से जल्द समाधान की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रशासन को गंभीरता से कदम उठाने चाहिए।मरीजों की सुरक्षाः अस्पताल में सर्वर डाउन होने से मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
• प्रशासन की जिम्मेदारी: अस्पताल प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए।
• तकनीकी खराबी: इस घटना से पता चलता है कि अस्पतालों में तकनीकी खराबी कितनी बड़ी समस्या हो सकती है।