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उत्तराखंड में बेकाबू हुई वाहनों की रफ्तार, 24 साल में 20 हजार लोगों की गई जान – Uttarakhand myuttarakhandnews.com

Latest posts by Sapna Rani (see all)हल्द्वानी। सुरक्षित यात्रा तभी संभव है, जब सरकार और नागरिक समाज के समन्वित प्रयासों से सड़क सुरक्षा एक जिम्मेदारी में बदल जाए। सरकारें चाहती हैं कि सड़कें विदेशों की तरह चकाचक हो जाएं, मगर इस बीच सड़क पर होने वाले हादसों ने सुरक्षा संबंधित चिंता बढ़ा दी है। अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में 20 हजार लोगों की मौतें केवल सड़क दुर्घटनाओं में हुई है। यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। सड़क दुर्घटनाओं के लिए सरकार व खराब सड़क को दोष देना तो आसान है, मगर लोग अपनी जिम्मेदारी से बचके निकल लेते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में जहां हजारों परिवारों को अपनों को खोना पड़ता है, वहीं पीड़ित और उनके परिवार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है।हादसों ने बढ़ाई सरकार की टेंशनग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी (जीएसआरआरएस) ने सड़क सुरक्षा संबंधित पांच कारकों की पहचान की है, जिसमें तेज रफ्तार, शराब पीकर वाहन चलाना, दोपहिया वाहनों में हेलमेट का प्रयोग नहीं करना, सीट बेल्ट नहीं बांधना और सुरक्षा उपायों के बिना बच्चों के संग यात्रा करना आदि शामिल हैं। हम बात उत्तराखंड की करें तो यहां बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने सरकार व जिम्मेदार सिस्टम की चिंता बढ़ाई है।वर्ष 2018 से वर्ष 2023 तक 5504 लोगों की मौत हुई, जिसमें 4670 पुरुष व 834 महिलाएं शामिल हैं। तिकोनिया निवासी समाजसेवी हेमंत गोनिया की आरटीआइ के जबाव में यह जानकारी लोक सूचना अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) पुलिस मुख्यालय ने दी है।सड़क दुर्घटनाओं में साल दर साल मौत का आंकड़ावर्ष- मौतें2001- 6982002- 7052003- 7562004- 9312005- 8692006- 9752007- 9912008- 10732009- 8522010- 9312011- 9372012- 8532013- 7652014- 8782015- 9132016- 9622017- 9422018- 10472019- 8672020- 6742021- 8202022- 10422023- 1054