Latest posts by Sapna Rani (see all)नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आग के कारण राज्य के केवल 0.1 फीसदी वन्यजीव इलाका प्रभावित हुआ है।15 मई को फिर कोर्ट करेगा सुनवाईसुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच के सामने राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पिछले साल नवंबर से जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और यह सब मानवीय हैं। सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि जंगल में आग लगने की घटना से संबंधित राज्य में कुल 350 क्रिमिनल केस दर्ज किए गए हैं। इन घटनाओं को लेकर राज्य में 62 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। राज्य सरकार ने कहा कि लोगों का दावा था कि 40 फीसदी हिस्सा आग की चपेट में है, लेकिन असलियत यह है कि वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 हिस्सा ही आग के चपेट में है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट का अवलोकन किया और टिप्पणी की है कि इंद्र देवता पर निर्भर रहना या फिर क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश इस मसले का समाधान नहीं है। राज्य सरकार को अन्य निवारक उपाय करने होंगे। मामले की आगे की सुनवाई 15 मई को होगी।अब तक 910 आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैंउत्तराखंड में जंगल की आग से संबंधित मामले की सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को सुनवाई की। याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तराखंड में पिछले साल एक नवंबर से लेकर अब तक जंगल में आग की 910 घटनाएं हो चुकी हैं। इस कारण 1145 हेक्टेयर जंगल का नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया था। इस मामले में आवेदक के वकील ने कहा था कि कुमाऊं इलाके में 44 फीसदी जंगल में आग लगी है। इनमें सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इनमें 90 फीसदी आग लोगों के कारण लगी है। इन इलाकों में कार्बन के बादल बने हुए हैं।
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