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उत्तराखंड में गंगा प्रदूषण रोकने के लिए अनोखा फरमान, नहीं मिलेगी सैलरी अगर मिला पॉल्यूशन – Uttarakhand

A unique order to stop Ganga pollution in Uttarakhand, salary will not be given if pollution is foundA unique order to stop Ganga pollution in Uttarakhand, salary will not be given if pollution is foundA unique order to stop Ganga pollution in Uttarakhand, salary will not be given if pollution is foundइस खबर को शेयर करेंLatest posts by Sapna Rani (see all)देहरादून: अब अगर गंगा का पानी मैला हुआ, तो आम जनता नहीं अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. दरअसल उत्तराखंड के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून जिले समेत अन्य जगहों पर गंगा मैली हो रही है. गंगा के साथ अन्य नदियों की रिपोर्ट के बाद अब जल संस्थान ने कहा है कि अगर नवंबर महीने के अंत में रिपोर्ट यह बताती है कि नदियां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से गंदी हो रही हैं, या उनमें गंदा पानी छोड़ा जा रहा है, तो अधिकारियों का वेतन रोका जाएगा. अपने आप में ये अनोखा मामला है, जब अधिकारियों का वेतन रोकने की बात विभाग ने कही है.ऐसे रुकेगा प्रदूषण: उत्तराखंड के पहाड़ों से निकलने वाली तमाम छोटी-छोटी नदियां नाले और झरने नीचे आकर बड़ी नदियों में तब्दील हो जाते हैं. इनके संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ सफाई को लेकर हर सरकार पूरी कोशिश करती है. लेकिन हालात हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. आए दिन हमारे प्रदेश में ही नदियां दूषित हो रही हैं. एक तरफ जहां उत्तराखंड में प्रदूषित नदियां चिंता में डाल रही हैं, तो वहीं प्रदेश के जल स्रोतों पर भी संकट मंडरा रहा है.सीवरेज पंपिंग स्टेशन पर नकेल: उत्तराखंड में बहने वाली नदियों के किनारे कई सीवरेज पंपिंग स्टेशन लगे हुए हैं. बार-बार लापरवाही के साथ उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं. उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक कई बार इस बात का भी खुलासा हुआ है कि यह सीवरेज पंपिंग स्टेशन गंदा पानी, गंगा और उसकी सहायक नदियों में उतार देते हैं. लेकिन अब सीवरेज पंपिंग स्टेशन से होने वाली लापरवाही पर अंकुश लग सकता है. अब जल संस्थान ने एक बड़ा फैसला लिया है. जल संस्थान की (मुख्य महाप्रबंधक) सीजीएम नीलिमा गर्ग ने इंजीनियरों को साफ कह दिया है कि अगर गंगा या उसकी सहायक नदी पर बने स्टेशन ने गंदा पानी नदियों में छोड़ा और गंगा का पानी प्रदूषित पाया गया, तो उनके ऊपर फाइनेंशियली कार्रवाई होगी.उत्तराखंड में प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे हैंगंगा मिली प्रदूषित तो रुकेगा वेतन: बीते दिनों आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार, देहरादून जिले समेत अन्य जगहों पर पानी दूषित हो रहा है. इसमें कहीं ना कहीं लापरवाही बढ़ती जा रही है. शासन स्तर पर भी जब यह रिपोर्ट पहुंची, तब पेयजल सचिव शैलेश बगोली ने विभाग के ऊपर नाराजगी जाहिर की थी. अब इस नाराजगी जाहिर करने का असर यह हुआ कि विभाग ने साफ निर्देश दे दिए हैं कि नवंबर महीने की रिपोर्ट में अगर यह पाया जाता है कि शिविर पंपिंग स्टेशन के आसपास या उससे नीचे गंगा या दूसरी नदियां दूषित हैं, तो संबंधित अधिकारियों का वेतन रोका जाएगा. लगातार अधिशासी अभियंताओं को यह बताया जा रहा है कि कुछ एसटीपी प्लांट मानकों के विपरीत काम कर रहे हैं. ऐसे में उनकी लापरवाही अधिकारियों की सैलरी पर भारी पड़ेगी. अगर ऐसा होता है, तो तुरंत नवंबर महीने का वेतन रोका जाएगा.प्राकृतिक जलस्रोत सूखने में मानव हस्तक्षेप है कारणउधर जल स्रोतों पर भी संकट: उत्तराखंड में लगातार नदी नालों के संवर्धन के लिए कई तरह के प्रयास किया जा रहे हैं. लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने और चिंताएं बढ़ा दी हैं. स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी यानी (सारा) की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि उत्तराखंड में 206 नदी, नाले और गदेरे सूखने की कगार पर हैं. इनके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मनुष्य है. मानवीय हस्तक्षेप की वजह से पहाड़ों में ये हालात बन रहे हैं. उत्तराखंड में जिन नदियों के हालात सबसे अधिक खराब हो रहे हैं, उनमें देहरादून की सौंग नदी, पौड़ी गढ़वाल की दो नदियां, चंपावत और नैनीताल में कुछ जगह हैं, जहां हालात खराब हो रहे हैं. इसके साथ ही अल्मोड़ा की गगास नदी भी सिकुड़ रही है. द्वाराहाट के भी कुछ धारे सूखने की कगार पर हैं. हरिद्वार में कुछ छोटी छोटी धारा सूखने की कगार पर है.