Weather Update: Weather will change soon in Uttarakhand, possibility of rain and snowfall after 48 hours; see latest updateइस खबर को शेयर करेंLatest posts by Sapna Rani (see all)देहरादून। उत्तराखंड में मौसम शुष्क बना हुआ है और अगले कुछ दिन वर्षा के आसार नहीं हैं। हालांकि, आगामी 29 नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की आशंका है, जिससे हिमालयी क्षेत्रों में मौसम करवट बदल सकता है। ऐसे में प्रदेश में तापमान में तेजी से गिरावट आने और वायु प्रदूषण कम होने की उम्मीद है। हालांकि, मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन पहाड़ों में पाला और मैदानी क्षेत्रों में कोहरे का प्रभाव बना रहने की आशंका जताई है। उत्तराखंड में अक्टूबर की शुरुआत में मानसून की विदाई के बाद से सूखा पड़ा हुआ है। ज्यादातर क्षेत्रों में पूरे अक्टूबर और फिर नवंबर में वर्षा नहीं हुई। दून समेत पांच जिलों में तो एक बूंद नहीं पड़ी। वहीं शेष जिलों में भी कहीं-कहीं महज बूंदाबांदी ही दर्ज की गई।बारिश न होने से मौसम शुष्क बना हुआ है और अधिकतम व न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक चल रहे हैं। कई दिनों से प्रदेशभर में मौसम शुष्क बना हुआ है और चटख धूप खिल रही है। हालांकि, पर्वतीय क्षेत्रों में सुबह-शाम ठिठुरन बढ़ने लगी है। मैदानी क्षेत्रों में भी रात को पाला गिरने से सुबह ठंडक महसूस की जा रही है। जल्द बदलेगा मौसममौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, फिलहाल अगले कुछ दिन प्रदेशभर में मौसम शुष्क बना रहने का अनुमान है। मैदानी क्षेत्रों में कहीं-कहीं कुहासा और धुंध छाई रह सकती है। पहाड़ों में पाला पड़ने की आशंका है। इसके बाद आगामी 29 नवंबर के बाद ताजा पश्चिमी विक्षोभ हिमालयी क्षेत्रों में सक्रिय हो सकता है। जिसके चलते कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की उम्मीद है।नैनीताल में इन दिनों पर्यटक झील में नौका का लुत्फ उठा रहे हैं। शहर, अधिकतम, न्यूनतमदेहरादून, 26.2, 10.4ऊधमसिंह नगर, 26.6, 9.8मुक्तेश्वर, 17.0, 4.2नई टिहरी, 17.8, 6.3प्रदूषण से परेशान हुए लोगसर्दियों का मौसम कई लोगों के लिए परेशानियां साथ लाता है। खासतौर से वह लोग जिन्हें सांस संबंधी दिक्कतें हैं। जिनमें अस्थमा, क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और क्रानिक ब्रोंकाइटिस आदिशामिल हैं। दून के निजी व सरकारी अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। तपमान में गिरावट इन मरीजों की तकलीफ और बढ़ा सकता है। ऐसे में चिकित्सकों की सलाह है कि ऐसे मरीज ठंड बढ़ने के साथ ही अपने स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एवं वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग अग्रवाल के अनुसार ठंड के मौसम में सांस की नली के सिकुड़ने और प्रदूषण की वजह से अस्थमा अटैक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। हमारा कमजोर इम्यून सिस्टम भी अस्थमा के लक्षण के बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण होता है, इसलिए जरूरी है कि हम इस प्रकार की जीवनशैली अपनाएं जिससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहे। आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रानिक ब्रोंकाइटिस की समस्या होने पर भी दिक्कत बढ़ सकती है। प्रदूषण के कारण भी दिक्कत बढ़ रही है। किसी भी तरह की सांस से जुड़ी परेशानी बढ़ने लगे, तो बेहतर है कि आप किसी पल्मोनोलॉजिस्ट या एक्सपर्ट से सलाह लें।सांस लेने में दिक्कत होने का कारणठंडी चलती हवाओ से सांस की नली का सिकुड़ना, जिससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है।कफ या बलगम का अधिक मात्रा में बनना और फिर धीरे-धीरे इनका गाढ़ा होकर लंग्स में जमा होना।पहनावे पर दें ध्यानसर्दियों के मौसम में अपने पहनावे पर जरूर ध्यान रखें, क्योंकि सर्द चलती हवाएं शरीर के तापमान में गिरावट करता है। पर्यावरणीय ट्रिगर के अलावा अन्य ट्रिगर से भी बचें पर्यावरण तो अपना प्रभाव हमारे शरीर पर बनाता ही है। साथ ही कुछ अन्य कारक भी हैं, जो हमें हमारी लाइफस्टाइल में ट्रिगर करते हैं- जैसे हमें धूमपान, डस्ट एलर्जी से बचना चाहिए, एरोसोल युक्त उत्पाद से बचना चाहिए। इसके आलावा धूल, मोल्ड, फंगस, कीटनाशक आदि से भी दूरी बनाएं। स्वस्थ आहार का करें सेवनस्वस्थ जीवनशैली अपनाएं प्रतिदिन स्वस्थ आहार का सेवन करें। घर का बना खाना खाएं। प्रतिदिन योग, एक्सरसाइज और व्यायाम जरूर करें। किसी भी तरह के रेस्पिरेटरी संबंधित संक्रमण से बचें। तनाव बिलकुल न लें। हृदय रोगी भी रखें बचाव सर्दियों का ये मौसम हृदय के लिए और भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है। जिन लोगों को पहले से हार्ट की समस्या रही है उन्हें इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता हैठंड का मौसम आपके हृदय और संचार संबंधी समस्याओं जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती है। दून अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलाजिस्ट डा. अमर उपाध्याय के अनुसार ठंड बढ़ने के साथ शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं। लेकिन यह संकुचन (जिसे ‘वासोकोनस्ट्रिक्शन’ कहा जाता है) परिसंचरण के बाकी हिस्सों में अधिक दबाव बनाता है, जिसका अर्थ है कि हृदय को शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस स्थिति में हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है। यह ठंड के प्रति एक सामान्य प्रतिक्रिया है, लेकिन यह उन लोगों के लिए हृदय संबंधी लक्षणों का कारण बन सकती है, जिन्हें पहले से ही यह बीमारी है। यही कारण है कि सर्दियों में हृदय की सेहत पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। इन बातों का भी रखें खास ध्यानठंड से बचाव के अलावा आहार की पौष्टिकता और नियमित व्यायाम जरूर ध्यान रखें। ये हार्ट को स्वस्थ रखने और रक्त संचार को बेहतर रखने के लिए जरूरी है। इसके अलावा सबसे आवश्यक, शराब-धूमपान से बचें। धूमपान की आदत रक्त वाहिकाओं और हृदय के लिए काफी समस्याकारक हो सकती है। ये आपमें हार्ट अटैक को खतरे को बढ़ाने के प्रमुख कारकों में से है। सुबह की सैर से भी फिलवक्त परहेज करें।
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