उत्तराखंड
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देहरादून,नैनबाग : (शिवांश कुंवर )पहाड़ों की पारम्पारिक खेती को पुनः उत्पादकों में मोटे अनाज को बढ़ाव देने को लेकर महाविद्यालय नैनबाग में कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसमे क्षेत्र से भारी संख्या कास्तकारो ने प्रतिभाग किया,लेकिन कार्यशाल में भारी अव्यवस्थाओं के चलते अधिकांश बैरग लोटना पडा,गुरुवार को महाविद्यालय नैनबाग में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना के तहत एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बिज बचाओं आन्दोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने दीप प्रज्जलित कर कार्यशाला का शुम्भारभ किया ।जिसमे कोंदा (महुवा ) झोगेरा, कौणी, चींणा को पुनः उत्पादन को बढ़ाव देने पर सरकार द्वारा कार्यशाला के माध्यम से किसानों में जन जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रह है।कार्यशाला में विजय जड़घारी ने कहा पहले पहाड मिश्रित खेती होती थी, जिससे लोग स्वस्थ्य व तंदुरुस्त होते थे ।आज लोगों हाई ब्रिट बिज के साथ कई किट नाशक आने से कई बीमारी आई स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव पडा है।उन्होने कहा कि आज के परिवेश में ग्रामीणी को चाहिए वे पुनः पौराणिक व पुस्तेनी खेती के लिए सरकार भी हर प्रयास करने जुट गई है। जिसमे सही दिशा में भारत सरकार ने भी मोटे अनाज को पौटिष्क आनाज का नाम दिया है।जिस पर जड़धारी ने ग्रामीणों कास्तकारों से प्राकृतिक खेतों में से कोंदा (महुवा ) झोगेरा, कौणी, चींणा को पुनः उत्पादन में आगे बढ़ने की अपील की है।वही कालेंज में पूर्ण संसाधन होने के बावजूद भी कार्यशाला में कास्तकार व छात्र छात्राओं को बैठने की जगह न होने पर खडें होने को मजबूर के चलते छात्र/ छात्राएं कार्यशाला से बाहर होने पर कास्तकारों ने भारी रोष व्यक्त किया ।इस मौके पर उद्यान पंडित कुन्दन सिंह पंवार,कास्तकार कुंवर सिह भंडारी, सोबत सिंह कैन्तुरा,युद्धवीर सिंह रावत, रमेश भंडारी, दिनेश तोमर,अर्जून सिंह कुंवर, सुनीता देवी, गोविन्द रप्तार, नरेश सिंह,नीलम, शिवानी, आदि उपस्थित थे ।
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